जी हाँ अरविन्द जी.. आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपे अरविन्द केजरीवाल के लेख के मोहल्ला में छपे हिन्दी अनुवाद का जवाब


जी हाँ अरविन्द जी..
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था. क्यों क्योंकि आप ने कहा है..

अब क्या हुआ की जिस आन्दोलन में भागीदारी करने पंहुचे शरद यादव को बिना किसी पूर्वाग्रह के भगा दिया गया उसी आन्दोलन के मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता राम माधव की गरिमामयी उपस्थिति किसी को नहीं खटकी. इसके पहले की कोई गलतबयानी का आरोप लगाये हिन्दी के प्रतिष्ठित अखबार दैनिक जागरण का लिंक देख लें..
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/national/5_2_7567157.html


दैनिक जागरण पर भरोसा ना हो तो इसके ठीक विपरीत विचारधारा वाले अंगरेजी अखबार द हिन्दू का यह लेख देखें.
http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/article1629646.ece?css=print


अब आरएसएस की भागीदारी वाले आन्दोलन की ‘धर्मनिरपेक्षता’ पर कोई संदेह कर भी कैसे सकता है?

जी हाँ अरविन्द जी
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था. क्यों क्योंकि आप ने कहा है.

बावजूद इसके की आन्दोलन के ५-६ सबसे बड़े नेताओं में से दो, बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा आयोजित धर्म संसदों में जाते रहे हैं, विहिप के मूल चरित्र से सहमति दिखाते रहे हैं..
फिर से, गलतबयानी का आरोप लगे उसके पहले ही इण्डिया टुडे का यह लिंक देख लें जो यहाँ तक जिक्र करता है की आपके नेता “श्री श्री रविशंकर” विहिप की इस धर्मसंसद केमंच पर दूसरी पंक्ति में बैठे हुए थे.
http://www.india-today.com/itoday/20010205/nation3.shtml


अब विहिप के नेताओं से ज्यादा धर्मनिरपेक्षता की उम्मीद हम करेंगे भी किससे?

जी हाँ अरविन्द जी..
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था. क्यों क्योंकि आप ने कहा है..

अब इसका क्या करें कि आन्दोलन की विजय के ठीक बाद मंच पर हवन पूजन शुरू हो गए, कर दिए गए.
लिंक यह रहा
http://articles.economictimes.indiatimes.com/2011-04-09/news/29400617_1_anna-hazare-jantar-mantar-sudersh-adhikaro


हवन से बड़ी धर्मनिरपेक्ष कार्यवाही क्या हो सकती है आखिर? हाँ, हमें किसी ने नहीं बताया आप बता दें कि क्या वहां मौजूद ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी इस हवन में अर्घ्य दिए थे या देना चाहते थे? यह भी कि सर्वधर्म प्रार्थना तो आप रोज करवाते थे, इस हवन के बाद कोई मॉस भी हुआ था क्या, या शुक्राने की कोई नमाज पढी गयी थी?
इसमें यह भी जोड़ लें कि वहां हवन होगा यह सूचना एक दिन पहले ही जारी कर दी गयी थी. एक नामालूम सी वेबसाइट फ्रीहिन्दू ने यह घोसणा एक दिन पहले ही कर दी थी. लिंक.. http://freehindu.com/2011/04/celebrations-at-jantar-mantar-to-celebrate-anna-hazares-victory/


अब यह तो धर्मनिरपेक्षता के साथ लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया का भी सम्मान हुआ..

जी हाँ अरविन्द जी..
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था. क्यों क्योंकि आप ने कहा है..

बावजूद इसके कि इस आन्दोलन के ठीक बाद प्रेस कांफेरेंस में अपने सर के घाव दिखाते हुए अन्ना हजारे यह बताना नहीं भूले कि यह घाव उन्हें पाकिस्तान ने दिए हैं! (इस बात के बारे में ज्यादा जानकारी मोहल्ला के मोडरेटर अविनाश भाई से हासिल की जा सकती है.. यह उनका फेसबुक स्टेटस मैसेज भी था)
इसमें यह जोड़ लें कि अभी अक्टूबर २०१० में अन्ना शिवसेना के साथ मिलकर बिग बॉस नाम के रियलिटी शो का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि उसमे ‘पाकिस्तानी कलाकार’ उपस्थिति थे!
लिंक — http://movies.ndtv.com/movie_story.aspx?ID=ENTEN20100156376&keyword=television&subcatg=MOVIESINDIA


पड़ोसी देशों के साथ ‘पूर्वाग्रह’ मुक्त रिश्ते बनाने का इससे बेहतर तरीका हो भी क्या सकता है? और वह भी शिवसेना जैसे पिच खोदू संगठन के साथ..

जी हाँ अरविन्द जी..
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्म-निरपेक्ष और पूर्वाग्रहों से मुक्त” था. क्यों क्योंकि आप ने कहा है. आपने यह भी कहा है कि “आंदोलन की कट्टर धर्मनिरपेक्षता का प्रमाण इस बात से साबित होता है कि जंतर-मंतर पर हर शाम ‘सर्व-धर्म प्रार्थना’ होती थी। मुफ्ती शमूम काजमी और दिल्ली के आर्चबिशप विंसेंट एम कॉनसेसाओ इस आंदोलन के संस्थापकों में से हैं। महमूद ए मदनी भी इस आंदोलन के सजग समर्थक रहे हैं।”

जी हाँ.. ये सब संस्थापकों में रहे हैं.. सजग समथकों में रहे हैं..
इनके नेताओं में शुमार होने की क्या जरूरत.. नेता तो श्री श्री और रामदेव जैसे चेहरे वाले ही भले लगते हैं..

जी हाँ अरविन्द जी
आपका आन्दोलन पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है, पूर्वाग्रहों से मुक्त है.. बेवकूफ तो हम ही हैं जो समझ नहीं पा रहे..

Comments

  1. सवाल यहाँ पापी (धर्मनिरपेक्ष पढ़ें) या धार्मिक होने का बिलकुल नहीं है. अच्छी खासी रफ़्तार पकडती भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम को ऐसे लेख स्पीड ब्रेकर की मानिंद ही लगता है. सीधी सी बात ये है कि बेईमानी के विरोध की सवारी कहां तक पहुची उस पर बात होना सार्थक है बाकी सारी बात इस संबंध में निरर्थक. हालाँकि धर्मनिरपेक्षता का नूमना अग्निवेश थे ही वहां पर. आखिरकार भगवे पगड़ी में इसाई होने से बड़ा सेक्युलर होने का सबूत और क्या चाहिए. मुझे भी अपने इस बात के सबूत के तौर पर लिंक चिपकाना था लेकिन मुझे भरोसा है कि समर जी मेरी बातों पर ही भरोसा कर लेंगे. वैसे सदा की तरह पठनीय-आक्रोशनीय-कोसनीय-सोचनीय आलेख.
    पंकज झा.

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  2. Its unfortunate that people do not see any point in the secular, socialist and democratic principles and processes which are the very foundation for the polity and nation building.
    Its pity that people including the leaders of this movement look at corruption as mere financial malpractices. For me the ideological corrupt people are more dangerous as they not only plunder the financial resources but do irrepairable damage to social fabric of the nation. But who is concerned in this era of shortcuts. That's why the murderers, theives, plunders of natural resources and high profile criminals responsible for displacing poor communities from their homelands, and others who are not directly involved in scams of public money could be invited to protest against corruption. The corrupt officials and scammers will also have their turn to share platform with full respect and dignity but in another movement that may be against 'criminals' contesting elections.
    This is how we will gain the solidarity required for the success of a movement.
    But the history of movements in world has another lesson for the shortsighted people - such movement could bring a legislation but can't clean the very corruption in the society and hence can't bring long lasting change. The objective of posting this comment is not to put any speed breaker but to reflect on the processes with objectivity.

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  3. I am quiet sure you will kill yourself very soon by your negative attitude.
    Please think again,it is my friendly advice.

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  4. agar raamdev VHP ki meeting me jate hai then ramdev ulemao ke sath bhi dekhe jate hai...tum jaise kuch log modi ki baat kar dete hai jabki abhi koi final decision nahi aaya hai ki modi galat hai ya nahi...r tum logo ko mulayam singh ya mayawati kyu nhi dikhte ,AMU kyu nhi dikhta jo ki naya adda ho rha hai atankwaad ka?? r agar puja hawan ki baat karte ho to ye sab MUGHAL time se hota chala aa rha hai ve log bhi apne kaamo ko pura karne ke liye yhi karte the...tab na to RSS thi r na hi B.J.P....
    suggestion hai ki ye sab likhna band kar do kyuki journalism tumhare bas ka nahi...agar ek najariye se saare paksh ko nahi dekh sakte ho to...

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