वे तिलिस्मी रातें.

[दैनिक जागरण में अपने पाक्षिक कॉलम 'परदेस से' में आज प्रकाशित लेख 'वे तिलस्मी रातें ' से]

‘आपने अपने शहर को गहराती रातों में देखा है? घर पंहुचने की जल्दी में भागती हुई कार या बाइक से नहीं बल्कि अलसाए कदमों से नापते हुए? देखिएगा कभी, पहचान नहीं पायेंगे.’ यास्मिन की नजरें मुझसे हट बीजिंग की खाली होती सड़कों पर टिक गयी थीं और हमारा मन न जाने किन गलियों से इलाहाबाद लौट गया था. हाँ, कितनी बार तो देखा है. हम कुछ दोस्त अक्सर गयी रात निकल पड़ते थे, यूनिवर्सिटी से शुरू कर कभी लोकनाथ होते हुए रेलवे स्टेशन तक तो कभी रामबाग की तरफ. तब कहाँ समझ आता था कि कौन सा जादू है जो दिन में गलियों से पतली लगने वाली चौक की सड़कें को रातों मे चार लेन वाले हाईवे का विस्तार दे देता है. कौन सा तिलिस्म है जो दिन में प्रेमी जोड़ों से गुलजार रहने वाले विश्वविद्यालय परिसर को रात में तिलिस्मी हवेली मे बदल देता  है.

 बखैर, रात की घुमक्कड़ी एक और शय है जो समझदार दुनियावी लोगों को बैकपैकर्स से अलग करती है. गहराती रातें उनके लिए अक्सरहा दिन खतम करने का नहीं बल्कि शुरू करने का वक़्त होती हैं. वह वक़्त जब आप शहर और समाज से खारिज या आजिज दोनों किस्म के दीवानों से टकराते हैं. वह वक्त जब आप बस आप हो सकते हैं. आज तक समझ नहीं आया कि रातों को शहर पहचान में नहीं आता कि हमने अपने शहरों को रातों में ही पाया है. आप कभी हिंदुस्तान आइये, आपको अपना शहर दिखाऊंगा कहते कहते जुबान रुक गयी थी. बीजिंग थोड़े हैं अपने शहर, लड़कियां दिन को सहज भाव से नहीं भटक सकतीं और हम रात में शहर दिखाने निकले हैं. एक दिन यक़ीनन, फिर खुद को दिलासा सा दिया था.

पता ही नहीं चला कि स्ट्रीट फ़ूड की तलाश में निकला अपना काफिला कब बीजिंग की मशहूर नाइट मार्किट दोंगहुमेन और इससे सटी हुई वांगफुजियांग के बीच पंहुच आया था. अब मार्केट के पैफांग यानी चीनी शैली के मेहराबदार दरवाजे के एक तरफ हम यानी की मैं, निक, सेबास्टियन, और यास्मीन थे और दूसरी तरफ भोजन की अनंत संभावनाओं का समंदर. सबसे मशहूर व्यंजन पीकिंग डक, सांप और बिच्छुओं से लेकर बरास्ते सीफ़ूड काक्रोचों तक जाने वाला समंदर. मतलब यह कि इस पुरबिये के लिए मामला वैसा ही था जैसे बहुत प्यास लेकर असली समंदर में फंस गये हों कि अथाह पानी है मगर पी नहीं सकते. ‘हम आपके लिए भी कुछ न कुछ ढूंढ ही लेंगे’, इस बार निक ने यकीन दिलाया था. 

इसके बाद के अगले कुछ घंटे अपनी जिंदगी में भोजन के साथ वैसे ही दुस्साहसिक प्रयोगों के घंटे थे जैसे थार रेगिस्तान का कोई निवासी अंटार्कटिका की यात्रा पर निकल पड़ा हो. उस दिन मजे से तमाम चीजों का स्वाद लेते हुए बाकी तीनों को देख पहली बार अपनी सामाजिकता से शाकाहारी होने पर अफ़सोस हुआ तो हमने भी तमाम किले नेस्तोनाबूद करने की कोशिश तो की पर नाकामयाब ही हुए. पर फिर वह टमाटर की इकलौती शाकाहारी सब्जी तो थी ही और फिर बीच की पैटीज़ निकाल देने पर शाकाहारी हो जाने वाले बर्गर भी थे ही. 

बखैर, मार्केट पर लौटें तो सप्ताहांत न होने पर भी बहुसंख्यक चीनी ग्राहकों से एक बार फिर रश्क हुआ. उत्सवधर्मिता का, जिन्दगी जीने का यह चरम हम अपने देशों में क्यों नहीं जी पाते? क्या है जो हमें इन छोटी छोटी खुशियों से रोकता है? ‘यहाँ पुलिस बिलकुल नहीं दिख रही’, अबकी बार सेबास्टियन ने चौंकाया था. हाँ, यह हमारा साझा जवाब था. आखिर पुलिस की सर्वव्यापी उपस्थिति चीन में घुसते ही नजर आ जाती है. फिर भाषा की सीमाओं के साथ साथ गयी रात पुलिस के बारे में पूछताछ करने के खतरों ने हमें वहीँ रोक दिया था. 

फिर एक स्थानीय लड़की अचानक हमारी तरफ बढ़ आई थी. ‘हेलो, क्या मैं आप लोगों के साथ अपनी अंग्रेजी का अभ्यास कर सकती हूँ’. लोनली प्लेनेट से शुरू कर तमाम किताबों की चेतावनी हमारे चेहरों पर हिचक बन उतर आई थी. सामान से नजर हटाते ही चोरी और अंग्रेजी के अभ्यास के नाम पर ख़ास पबों में ले जाकर फर्जी बिल से लूट लेना, चीन इन दो चीजों के लिए बेहद बदनाम है. ‘स्वीडिश’, वैरी पुअर इंग्लिश’, यास्मिन ने बात संभाल तो ली पर लौटते हुए हम सभी शायद यही सोच रहे थे कि अगर वह लड़की सच में मासूम हो तो? कुछ लोगों का अपराध कैसे तो सबको संदिग्ध बना देता है. 

अपना काफिला वापस हॉस्टल चल पड़ा था. रुको, चीन की देशी शराब बाज्यू ट्राई किये बिना कैसे जा सकते हैं? कहते हुए निक भागा था और फिर तीन छोटी बोतलें ले लौट आया था. कहते हैं कि बाज्यू दुनिया में सबसे ज्यादा पी जाने वाली और सबसे तेज शराब है. और फिर एक घूँट की शर्त जो मैंने न जाने कैसे जीत ली. आप सच में लेखक हो, लेखक ही इतनी तेज पी सकते हैं, लड़खड़ाती हुई यास्मिन ने हादसे में कमाई हमारी इज्जत और बढ़ा दी थी. 

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