आप संघ की बी टीम नहीं, भाजपा पुरानी कांग्रेस प्लस काऊ है!



चुनाव को दिन नहीं बीता और तमाम बड़े 'बुद्धिजीवियों' को ज़ोर की दख़ल लग गई जहाँ देखो कर दे रहे हैं-

उनको बड़ी चिंता है कि कांग्रेस की ये हार उसके शीर्ष नेतृत्व पर यह दबाव बनाएगा कि वह मुद्दों पर ऐसे स्टैंड न लें जिससे हिन्दुओं के नाराज़ होने का ख़तरा हो-

मसलन 370, सीएए, एनआरसी वगैरह, समान नागरिक संहिता वगैरह!

आसान भाषा में कहें दलाली का पक्ष चुने इन 'बुद्धिजीवियों' ने आप के खिलाफ ज़हर उगलना शुरू ही नहीं कर दिया है- उसे भाजपा की बी टीम बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं!

तो पहला सवाल भैया- कि कांग्रेस दिल्ली में पहली बार शून्य नहीं लाई है- 2015 में भी लाई थी! तब क्या कारण था? तब तो 370 वगैरह कुछ न था?

दूसरा सवाल: मंदिर परिक्रमा कर रहे हैं आप वाले: तो जो आप वाले हिन्दू हैं वो कहाँ जाएँ? मस्जिद? संघी तो उनकी फ़र्ज़ी टोपी पहनी, नमाज़ पढ़ती तस्वीरें साझा करते ही रहते हैं- आप संघियों की मदद पर काहे उतर रहे हैं?

और वो भी अमानतुल्लाह खान के आप में रहते- उस आदमी को जिसको लिक टीवी से लेकर छी टीवी तक ने शाहीन बाग़ का ही नहीं, पाकिस्तान तक का चेहरा बनाने की कोशिश की थी- जिसके पोस्टल बैलट में पीछे रहने पर अर्नब ख़ुशी से पगला रहा था! वही अमानत भाजपा को मिले वोटों के दुगने से ज़्यादा लाकर जीते हैं- वे आप का चेहरा नहीं हैं?

वे तो मस्जिद जाते है न? आप अरविन्द को भेजने पर भी क्यों आमादा हैं?

पर उससे बड़ी बात: ये धार्मिक प्रतीकों वाली राजनीति शुरू कैसे हुई थी? कौन करवाता था अफ्तार? कौन दिलवाता था जामा मस्जिद से फतवे?

इन दोनों को आधार बनाकर संघियों ने बहुत ज़हर बोया है- राहुल हों या केजरीवाल- मंदिर जा जाकर धोने दीजिए उन्हें- अच्छा कर रहे हैं वे!

हाँ- इससे याद आया- जनेऊधारी शिवभक्त राहुल गांधी को कितने हिन्दुओं ने स्वीकारा था? और लोकसभा में नहीं किया तो अब कैसे कर लेंगे?

और राहुल जी का मंदिर जाना ठीक अरविन्द का गलत?

तो अपनी दलाली के लिए दखल डालो भैया- पर ऐसे फ़र्ज़ी तो न डालो!

और सबसे बड़ा सवाल:

दिल्ली की जनसांख्यिकी:
हिन्दू: 80.21 %
मुस्लिम: 12.78


आप के मत: 53.57%
भाजपा: 38.51%
कांग्रेस: 4.26%


अब अगर मान लें कि कांग्रेस के सारे वोट मुसलमानों से ही आये हैं तो भी दो तिहाई मुसलमानों ने (गजब ये कि ठीक 2 तिहाई- 4.26 गुने तीन बराबर 12.78) ने आप को वोट दिया है!


क़ौम के हित तुम क़ौम वालों से ज़्यादा जानते हो रे थेथर?

तो चोंच बंद करो, क़ौम की आवाज़ चुरा उसका प्रवक्ता बनने की कोशिश भी!

क्या है कि दिल्ली की जनता ने हिन्दू केजरीवाल को वोट नहीं दिया है. दिल्ली की जनता ने शाहीन बाग़ न जाने वाले केजरीवाल को वोट नहीं दिया है!

हिंदू को वोट देना होता तो दिल्ली के पास मौलिक विकल्प था, उन्होंने रात दिन कोशिश भी की थी, दिल्ली फ़ोटोकॉपी काहे चुनती!

जनता को मूर्ख समझना बंद करो फ़र्ज़ी बुद्धिजीवियों!

दिल्ली ने वोट दिया है मोहल्ला क्लिनिक को, शानदार हो गए स्कूलों को, लुटेरे निजी अस्पतालों और स्कूलों दोनों को ठीक करके रखी सरकार को, कम इस्तेमाल करने माने बचाने पर माफ़ हो गए बिजली पानी के बिल को, शानदार हो गई एम्बुलेंस को, घर में पहुँचती सेवाओं को, आरटीओ ऑफिस तक में ख़त्म हो गए भ्रष्टाचार को!

तुम्हारी मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ वगैरह सरकारों को कोई हाथ पकड़ के रोका है कि ये सब न करें? करके देखो- जब दिग्विजय ने ढंग के काम किये थे तो कांग्रेस 10 साल न हारी थी- इसी दिल्ली ने बदल देनी वाली शीला जी की कांग्रेस को 15 साल दिए थे- सुषमा स्वराज और अटल बिहारी वाजपेयी तक के दौर में!

पर तुम! ये करने की जगह तुम्हारे राजस्थान वाले गहलौत तो दिल्ली में मतदान के दो दिन पहले बिजली का दाम बढ़ाने जैसा जनप्रिय कदम उठा रहे थे!

तुम्हारी संभावनाओं को इन गहलोतों ने रौंदा है- केजरीवाल ने नहीं।

शुक्र है कि राहुल और प्रियंका साफ़ साफ़ समझ आते हैं कि वे उस पुरानी कांग्रेस के नहीं हैं. मतदान के दिन भूल जाओ, मतगणना के दिन और उसके बाद भी प्रियंका गांधी ऐसे ही गिरफ्तार सीएए विरोधी (ज़्यादातर हिन्दू) साथियों के साथ बनारस में खड़ी हैं!

इसमें तुम्हें उन पर हिन्दुओं को नाराज़ न करने का दबाव बनता दिख रहा है?

बाकी क्या है दलालंदाज़ बुद्धिजीवी भाई: राहुल प्रियंका वाली नई कांग्रेस बेशक उम्मीद जता रही है- पर आप के खिलाफ अपनी बेहयाई में तुम ये कैसे भूल सकते हो कि ऑपरेशन ग्रीन हंट किसने शुरू किया था?

जिन काले कानूनों के भीतर देश भर में हज़ारों राजनैतिक कार्यकर्ता कैद हैं उन्हें कौन लाया था?

वेदांता का वकील कौन था?

बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखे जाने से लेकर ताला खुलने तक के काम किसके दौर में हुए थे? भाजपा/संघ को ये मुद्दा थाली में रख के किसने दिया था?

विकास के नाम पर करोड़ों को विस्थापित करने वाली नीतियाँ किसकी थीं?

तो न, आप संघ की बी टीम नहीं है. भाजपा पुरानी कांग्रेस प्लस काऊ है- माने कांग्रेस की आर्थिक बी टीम!

सो अपनी बकवास बंद करो- अगर कांग्रेस के किसी छुटभैये से भी परिचय हो तो उसे बोलो आप की तरह काम करे- संघी ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सर से सींग!

चलो, टाटा।

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