जब राम इमाम-ए-हिंद थे, और इमाम हुसैन के लिए कर्बला में ब्राह्मण शहीद होते थे।

रामहि केवल प्रेम पियारा- गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था-
उन्हीं
माँग के खाइब मसीत माँ सोईब वाले तुलसीदास ने।

मुस्लिम जुलाहे के बेटे कबीर ने बढ़ाया-

राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥

और ये सिलसिला सिर्फ़ राम लला के साथ साथ कृष्ण भक्त मुस्लिम संतों- रहीम रसखान सब याद होंगे तक रुका नहीं।

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा वाले इक़बाल तक जाता है-

मशहूर जिन के दम से है दुनिया में नाम-ए-हिंद
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद।

सिलसिला इकतरफ़ा भी नहीं था कि उधर राम पूजे जा रहे हैं। मिथक हो के इतिहास- सरज़मीन-ए-हिंद पर केवल दो लोग अमर माने जाते हैं- एक श्राप के मारे अश्वत्थामा जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी भारत में भटकते फिरते हैं।

दूसरे इमाम हुसैन- जो कहते हैं कि हर मुहर्रम 'भारत' आते हैं। जी। भारत। हिंदुस्तान भी नहीं। जाने अपने साथ लड़कर शहीद होने वाले हुसैनी ब्राह्मणों उर्फ़ मोहियालों की याद में या उनके सम्मान में।

कभी मुहर्रम के सबसे मशहूर नौहों में से एक-

भारत में अगर आ जाता
मोहम्मद का नवासा
पलकों पर बिठाया जाता
हृदय में उतारा जाता।.......

राहिल दत्त की ये संतानें, असल में मान्यताएँ और भी अज़ीब हैं- कहते हैं कि मोहियाल से हुसैनी हुए ये दत्त ब्राह्मण उन्हीं अश्वत्थामा संतानें हैं जो महाभारत के बाद वहाँ बस गए थे जो आज का ईराक़ है।

यहाँ एक कमाल और याद आया! मोहियाल आज भी हुसैन की शहादत की याद में गले में चीरा लगाते हैं, ठीक वैसे जैसे नाथ संप्रदाय वाले जिनमें मुस्लिम जोगी भी होते थे- अभी मेरी जवानी तक दीक्षा तक लेते हुए, अब तो शायद जो बचे हैं वही होंगे।

मोहियालों ने मगर अपने चीरे का मान आज तक रखा है- जहाँ भी हों (पुष्कर में खूब हैं) मोहर्रम के किसी मातम में देख आइएगा।

ख़ैर- आख़िर को जो भी हुआ, मोहियाल वो दैर ए हिंदिया जो आज भी ईराक़ में है छोड़ कर तब के हिंदुस्तान चले आए और इक़बाल तब का हिंदुस्तान छोड़ पाकिस्तान चले गए।

इधर वाले विवेकानंद छीनते गए, उधर वाले इक़बाल। दोनों को सब कुछ शुद्ध चाहिए था, सब कुछ पाक़। ये और बात कि शुद्ध और पाक़ चाहे बाँट लिए हों- सब कुछ दोनों अलग ना कर सके।

खैर- जो आज के तमाशे से खुश हैं- उन्हें मुबारक। जो दुखी- उन्हें सांत्वना।

मोहर्रम का ये नौहा पढ़िए- भारत में जो आ जाता-

भारत में अगर आ जाता
मोहम्मद का नवासा
पलकों पर बिठाया जाता
हृदय में उतारा जाता।.......

यूँ चाँद बने हाशिम का
यूँ चाँद बने हाशिम का
धोखे से न मारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

यूँ नहर न रोकी जाती
यूँ हाथ न काटे जाते
हाथों के सहारे मिलते
कांधों पे बिठाया जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

तलवार जो तुमने खींची थी
क्या टिकते अरब के पापी
एक पाप का धारा आता
एक खून का धारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

चौखट से न उठते माथे
हर ओर से पूजा होती
इसदेश के भाषाओँ में
भगवान पुकारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

पानी के लिए आने पर
होता न लहू यूँ पानी
प्यासे का स्वागत करने
जमुना का किनारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

सेना में उसी के होते
और मर के अमर हो जाते
दो प्रेम भरे शब्दों पर
तन मन धन वारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

इच्छा है ये सबकी ख़्वाहर
अब्बास सिरहाने आते
दम तोड़ते हम भी रण में
परिणाम हमारा जाता
भारत में अगर आ जाता
ह्रदय में उतारा जाता

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