हांग कांग: सुगन्धित समंदर किनारे घर



खिड़की के बगल सोने की कोशिश कर रहा बभनान वाला लड़का अचानक रोशनी से नहा चौंक के उठा था! सुबह 5 बजे इतनी रोशनी? फिर उसे ख़याल आया था कि वह हांग कांग की वायु सीमा में है, अब घड़ी भी बदल जानी है समय भी. ज़िन्दगी बदल जानी है यह मगर उसे तब नहीं पता था.

उसने खिड़की से बाहर झाँका था और फिर चौंका था. हम पानी पर उतर रहे हैं? वाटर लैंडिंग? लेकिन जहाज में तो कोई अफरातफ़री नहीं दिख रही. सब मजे में बैठे हैं. वह फिर बाहर देखने लगा था. और जहाज अचानक प्रकट हो गए ज़मीन के एक टुकड़े पर लैंड हो गया था. यह लड़के की पहली अंतर्राष्ट्रीय उड़ान थी जो उसने 7 घंटे पहले दिल्ली से पकड़ी थी. रेड आई फ्लाइट- लाल आँख उड़ान बोले तो प्रयागराज या भोपाल एक्सप्रेस जैसी ही- रात में चलो और सुबह गंतव्य पर पहुँच जाओ. यात्रा ख़त्म।

पर उसे तब यह भी नहीं पता था कि यह यात्रा की समाप्ति नहीं, शुरुआत है. ये शहर उसकी भटकन की फितरत को एक ठहराव देने वाला था. ये शहर कुछ सालों में घर बनने वाला था.

तुंग लुंग चाऊ में कैंपिंग! यहाँ सीधे समंदर से सूरज उगता है!


हांग कांग। जिसे चीन के दुर्भाग्यशाली बालक राजा ने चन्दन और अगरवुड के पेड़ों से आने वाली भीनी सी महक की वजह से महकता बंदरगाह कहा था- द फ्रैग्रंट हारबर। 

बभनान वाला लड़का इस शहर में पहली इंसानी आमद के पूरे 6,000 साल बाद पहुँचा था. शहर के चीन का हिस्सा बनने के पूरे 2200 साल बाद. और शहर में पहले यूरोपियन, पुर्तगाल के जॉर्ज अल्वारेस के पहुँचने के 500 साल बाद. बाकी लड़के के देश वाले इस इलाके में हमेशा से आते रहे थे, कभी चोल साम्राज्य के जलपोतों पर आकर अपने राज्य खड़ा करते रहे थे- इंडोनेशिया में जावा के आज भी पूजा पाठ कर रहे मंदिर, 17 वीं शताब्दी तक वियतनाम में रहा चंपा हिन्दू साम्राज्य, कंबोडिया में हिन्दू, असल में विष्णु मंदिर के रूप में शुरू हुआ दुनिया का सबसे भव्य मंदिर अंगकोर वाट सब इसी इलाके में हैं. फिर वे अंग्रेजों के साथ आये. पहले तो दुनिया को अफीम पिला सभ्य बनाने निकले अंग्रेजों के गाज़ीपुर से निकले ट्रक सीधे कैंटन- अब गुआंगझाऊ- जाते थे.


फिर अफीम युद्ध होते गए हांग कांग बसता गया. पारसियों ने इस शहर को बसाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई, यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग में घुसते ही आज भी सबसे पहले एक भारतीय पारसी व्यापारी की मूर्ति दिखती है जिन्होंने जमीन दान की थी. यहाँ अंग्रेजी फौज का एक बड़ा हिस्सा भी हिंदुस्तानी सिपाहियों का था, उसमें भी सिख सबसे ज़्यादा. यहाँ की स्थानीय अंग्रेज पुलिस में भी सिख बड़ी तादाद में थे, इतनी बड़ी तादाद में कि आपको चीन, खासतौर पर द्वितीय विश्व युद्ध पर लिखे गए किसी भी संस्मरण में सिख सिपाही मिल जायेंगे। 1901 में तो यहाँ हिन्दू मंदिर और सिख गुरुद्वारा भी बन चुका था.


तब से साउथ चाइना सी यानी दक्षिण चीन महासागर में बहुत पानी बह गया. इस शहर में भी.


हांग कांग: वो शहर जो कंक्रीट और ग्लास का जंगल भी है, और थोड़ा आगे बढ़ते ही असल जंगल और पहाड़ का भी भी. जहाँ पूरब और पश्चिम मिलते हैं. जो दुनिया की आर्थिक राजधानी है. जहाँ डिज्नीलैंड भी है और ओशन पार्क भी.


खांटी लोकल टिप: ओशन पार्क डिज्नीलैंड से बहुत बेहतर है.

बर्ड्स हिल से ओशन पार्क


ख़ैर, पहली अंतर्राष्ट्रीय यात्रा थी सो बभनान वाला लड़का थोड़ा नर्वस तो था, पर अपने सबसे बड़े हथियार से लैस भी- हमको घंटा फ़र्क़ नहीं पड़ता वाली नज़र. ग्लास की इमारत है? बस चमक है. खादी कुर्ता (तब तक फैब इंडिया उतने चलन में नहीं था), पुरानी घिसी हुई जींस और हवाई चप्पल- वामपंथी ख़ेमे की आम और जेएनयू की खास यूनिफार्म ने दर्जनों जोड़ा ऑंखें उसकी तरफ घुमा दी थीं- भारत के इमीग्रेशन से लेकर हांग कांग तक. ये यूनिफार्म भी उसके बड़ी मेहनत से साधे “हमको घंटा फ़र्क़ न पड़ता” वाले आप का हिस्सा थी.

उसने बाजार दौड़ाई, जिधर सारे भाग रहे थे उधर बढ़ लिया जैसे बचपन से ही इमीग्रेशन इमीग्रेशन घूम रहा हो. उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान उतर आई थी- दिल्ली में पहली बार देखी ग्लास की इमारतों से पहली मुठभेड़ों के वक़्त की मुस्कान।

ये वाली नर्वसनेस इस शहर में उसकी आखिरी नर्वसनेस होनी थी.


हांग कांग को भी वैसा नहीं होना था जैसा वह सिनेमा के एस्टब्लिशिंग शॉट्स में लगता है. हाँ, विक्टोरिया हारबर बहुत सुन्दर है पर वह बस उतना ही हांग कांग है जितना इण्डिया गेट दिल्ली है या गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई।
विक्टोरिया हार्बर पर लेजर लाइट शो 



बेशक हांगकांग का दिल बस ग्लास और कंक्रीट का है. बशर्ते आप उस जगह को ‘दिल’ कह सकें जो निरंतर प्रवाह में हो- जहाँ हर दूसरा आदमी सूटकेस में ज़िन्दगी जीता हो जैसे किसी भी आर्थिक राजधानी में होता है- एक फ्लाइट से आये, दूसरी से निकल लिए. दुबई एयरपोर्ट के ट्रांजिट एरिया को कोई दुबई नहीं कहता न? सो यहाँ भी सेन्ट्रल और कोवलून के कुछ इलाके हांग कांग नहीं हैं- बावजूद इसके कि उनमें भी आप किसी एक गली में घुस जाएँ तो अचानक से असल हांग कांग मिल जाता है. और ठीक जगह से घुसे तो एक पूरा जंगल ही! हांगकांग पार्क कहते हैं उसे- 8 हेक्टेयर में फैला, चिड़ियों की दर्जनों प्रजातियों का घर- साथ में भी ब्रिटिश उपनिवेश के दिनों की सबसे पुरानी इमारतों में से एक फ्लैगस्टाफ हाउस का जिसमें तब ब्रिटिश सेना का कमांडर इन चीफ रहता था!
स्टार फेरी: शहर की पहचानों में से एक 



और इससे भी आगे बढ़ आएं तो तो आपको 300-400 साल पुराने गाँव मिल जायेंगे- चीनी पुरखों की पूजा करते हैं तो बाक़ायदा अभिलेखों के साथ. पूरा का पूरा गाँव असल में एक परिवार, मैं जिसमें पहले रहता था उसमें सब चैन थे! उनमें से कुछ गाँव तो वॉल्ड (सुरक्षा के लिए दीवाल से घिरे) चीन की दीवाल की याद दिलाते है.

और इनमें से कई गाँवों में खेती भी होती है- आज भी! असल में उसके पिछले गाँव के रास्ते में केले के खेत थे, दूर तक फैले हुए. और चीनी संतरों के, उनके नव वर्ष के समय जो बोनसाई पौधे दिए जाते हैं वे वाले.

बभनान वाले लड़के को अच्छा लगना ही था- 3700 किलोमीटर दूर वाले गाँव बड़हर खुर्द से शुरू हुआ उसका सफर बरास्ते कस्बाई बभनान फिर एक गाँव पहुँच गया था. ये पहली नज़र का प्यार नहीं था, पर उम्र भर का रोमांस शुरू हो चुका था!
किसान ढूंढ़ लेते हैं अपने खेत 


वो रोमांस जो उसे ताई मो शान ले जाएगा- हांगकांग की सबसे ऊँची चोटी पर उससे ज़्यादा रास्ते में पड़ने वाले 5 बड़े झरनों के लिए मशहूर! चौंक गए? थाईलैंड के इरावान नेशनल पार्क की याद आ गई जिसमें एक के बाद एक 7 झरने हैं? बेशक उतना सुंदर न सही, ताई मो शान उर्फ़ बड़ा हैट पहाड़ भी कम सुन्दर नहीं है- खास तौर पर उस शहर के लिए जिसका नाम सुन के लोग धंधा सोचते हैं, झरने नहीं! और सबसे बड़ा वाला 135 मीटर का है - और एक झरने में तो प्राकृतिक स्विमिंग पूल भी बन गया है!
ब्राइड्स पूल झरना 

या फिर तुंग पिंग चाऊ- एक परित्यक्त द्वीप जहाँ हांग कांग नहीं चीन का मोबाइल सिग्नल आता है! और 1722 में समुद्री लुटेरों से रक्षा के लिए बनाया गया तुंग लुंग किला। या ब्राइड्स पूल- एक और झरना जिसका नाम उस दूल्हन के नाम पर रखा गया है जो अपनी शादी के रास्ते में पालकी से गिर कर डूब गई थी!
ब्राइड्स पूल की एक और झलक 

और फिर कंबोडिया और विएतनाम की यद् दिलाते स्टिलटेड, माने बांस के सहारे पानी पर बनाये गए घर वाले ताई ओ. 
पोक फुलाम गांव में ड्रैगन डांस की तैयारी 

फिर सदियों पुरानी सभ्यता और संस्कृति को ज़िंदा रखे हुए तमाम गांवों में- प्लेग भगाने के लिए शुरू हुआ पोक फुलाम का ड्रैगन डांस हो, या ठीक उसी लिए चेंग चाऊ का बन फेस्टिवल. बन फेस्टिवल फिर भी थोड़ा टूरिस्टी है, पोक फुलाम के गाँव वाला ड्रैगन डांस एकदम स्थानीय जिसमें मैं अकेला गैर चीनी था. और यह देख के गज़ब वीआईपी ट्रीटमेंट मिला था, सामान्य सी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहने एक व्यक्ति ने मुझे परंपरा का इतिहास बताना शुरू किया। बभनान वाले लड़के ने बाद में शुक्रिया कह के अपना कार्ड दिया तब उसने भी- वह एचएसबीसी बैंक का वाईस प्रेजिडेंट था!

और उन तमाम बंकरों में भी जो अब मंदिर जैसे बन गए हैं, जहाँ द्वितीय विश्व युद्ध में हांग कांग निवासियों ने शानदार लड़ाई लड़ी थी, शहादतें दी थीं. और गगनचुंबी इमारतों के बीच अचानक उग आये से पार्कों में जहाँ सेवनृवित्त बुजुर्ग दिन भर सिगरेट पीते और महजोंग खेलते मिलेंगे! कई बार नाती पोतों के साथ भी- जिनके माँ बाप काम पर गए होंगे!
बन फेस्टिवल: चेंग चाऊ 



14 बरस में वनवास पूरा हो जाता है. हांगकांग ठीक इतने ही साल में बभनान वाले लड़के का घर बन गया. अफ़सोस होता है कभी कभी जब तमाम खेत गायब होते देखता है वो लड़का पर फिर भी- सुकून है कि हांगकांग के कुल क्षेत्रफल का 26,400 हेक्टेयर इलाका विशुद्ध जंगल है- बोले तो कुल क्षेत्रफल का 23.8%. द्वितीय विश्व युद्ध के समय से ज़्यादा।

आइये कभी उस लड़के के घर. पर वो 2 रात 3 दिन वाले पैकेज लेकर नहीं, शहर को जीने के लिए. लड़का अब एकदम लोकल है, टॉप सीक्रेट और बेस्ट जगहों पर घुमायेगा :)

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