क्या नेहरू और कांग्रेस ने स्कूली पाठ्यक्रम से हिंदू इतिहास छिपा कर सिर्फ़ मुग़ल इतिहास भर दिया था?

क्या नेहरू और कांग्रेस ने स्कूली पाठ्यक्रम से हिंदू इतिहास छिपा कर सिर्फ़ मुग़ल इतिहास भर दिया था? इसके ठीक बाद वे कहते हैं कि इस काम में रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब जैसे वामपंथी इतिहासकारों ने उनकी मदद की!
आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे दावे खूब घूमते रहते हैं। पर क्या ये सच है? सच ये है कि हर संघी दावे की तरह ये दावा भी झूठ है! एनसीईआरटी समेत लगभग सभी स्टेट बोर्ड्स में भारतीय इतिहास को पूरा ही कवर किया गया है और ढंग से किया गया है! असल में आठवीं क्लास तक तो सिर्फ़ और सिर्फ़ वही इतिहास है जिसे हिंदू इतिहास कहा जा सकता है! एनसीईआरटी की इतिहास की छठवीं कक्षा की किताब सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू कर सम्राट हर्षवर्धन तक के समय का इतिहास पढ़ाती है- संघियों की भाषा में विशुद्ध हिंदू इतिहास। सातवीं क्लास की किताब हर्षवर्धन के बाद के नये राज्यों के उदय की बात करती है- पश्चिमी भारत में गुर्जर प्रतिहार, बंगाल में राष्ट्रकूट, गुजरात और राजस्थान में पाल और दक्षिण भारत में चोल राजवंशों का इतिहास पढ़ाती है- चोल वंश का सबसे विस्तार में! इसके बाद आगे बढ़ते हुए दिल्ली के सुल्तानों तक पहुँचती है, फिर मुग़ल सल्तनत पर। यही किताब आगे राजपूताने के इतिहास पर पहुँचती है- आमेर के जय सिंह पर ख़ास फोकस के साथ। फिर सिख धर्म के उदय की कहानी कहती है! और फिर मराठा वर्चस्व की। पर यहाँ ठहरें- उसके बाद के अध्याय में NCERT की सातवीं कक्षा की इतिहास की किताब भक्ति आंदोलन पर आती है- और क्षेत्रीय परंपराओं की बात करती है- जिनमें उड़ीसा के बारहवीं शताब्दी के गंग वंश के शासक राजा अनंतवर्मन द्वारा पूरी में भगवान परशुराम जगन्नाथ के भव्य मंदिर के निर्माण का विशेष ज़िक्र करती है! ज़िक्र तो वहाँ नाथ संप्रदाय की परंपराओं का भी है- मैनामती गोपीचंद्र और धर्म ठाकुर का! किसी भी संघी से पूछ लीजिए, लगभग गारंटी है कि उसनें नाम भी न सुना होगा- क्योंकि नाम सुनने के लिए किताबें पढ़नी होती थीं! सातवीं क्लास की इसी किताब के सातवें चैप्टर में आदिवासी और खानाबदोश समूहों का ज़िक्र है जिसमें अहोम वंश का भी ज़िक्र है! पृष्ठों के स्तर पर देखें तो NCERT मौर्य साम्राज्य को 15 पृष्ठ देती थी, गुप्ता वंश को 5, पल्लव और चालुक्य को 5 और चोल वंश को 6। मुग़ल सल्तनत भी 15 पेज ही पाती है- माने मौर्य वंश के बराबर। पर कुल मिला के जोड़ें तो स्कूली किताबों में हिंदू इतिहास मुस्लिम इतिहास का कम से कम 50 गुना निकलेगा! NCERT की ही आठवीं की इतिहास की किताब भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता संग्राम पर केंद्रित है। पर उसमें भी आदिवासी, दिकू आदि समाजों पर भी पूरा ध्यान दिया गया है! उसी किताब में 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम भी पूरे विस्तार से वर्णित है। फिर स्वाधीनता के लिए संघर्ष भी। अब अगर आपको कोई बताये कि उसने सिर्फ़ मुग़ल सल्तनत के बारे में सुना था तो आप आराम से निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि उसने पढ़ाई लिखाई नहीं की है- कुंजी लेकर पास हुआ है! और यह उसकी दिक़्क़त है, कांग्रेस की नहीं!

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